विभागीय रिपोर्ट के अनुसार मुजफ्फरपुर, भागलपुर, जहानाबाद, कैमूर, नालंदा, लखीसराय, शिवहर, भोजपुर, पश्चिमी चंपारण, शेखपुरा, पूर्वी चंपारण, पटना, मुंगेर, खगड़िया, रोहतास, मधुबनी, दरभंगा और अरवल जिले ने न्यास की संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया है।
राज्य के 18 जिलों ने धार्मिक न्यास की परिसंपत्तियों का पूरा ब्योरा नहीं दिया है। यह स्थिति तब है, जब धार्मिक न्यास की परिसंपत्तियों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करने के लिए विभाग जिलों को कई बार निर्देशित कर चुका है। जिलास्तर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा।
कर्मी और पदाधिकारियों की मिलीभगत से भूमि माफिया मठ-मंदिर की जमीन बेच रहे हैं। विधि विभाग ने एक बार फिर सभी डीएम को तीन सप्ताह के अंदर पूरा ब्योरा पोर्टल पर अपलोड करने को कहा है। साथ ही मठ-मंदिरों की भूमि की बिक्री पर अविलंब रोक लगाने की बात कही है।
इस प्रकार का मामला संज्ञान में आने पर दोषी कर्मी और पदाधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई कर रिपोर्ट विभाग को भेजने को कहा गया है। इसके आलोक में वरीय उपसमाहर्ता, जिला विधि प्रशाखा ने अपर समाहर्ता, राजस्व को इसकी जानकारी दी है।
मुख्य सचिव ने इसे लेकर पिछले दिनों समीक्षा की थी। इसमें मुजफ्फरपुर समेत राज्य के 18 जिलों में ब्योरा अपलोड नहीं करने की बात सामने आई।
विधि विभाग के उपसचिव ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को कहा है कि विधानसभा और विधान परिषद में सदस्यों की ओर से लगातार मठ-मंदिरों की भूमि को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। इसका ब्योरा सार्वजनिक करने और अपलोड करने की मांग की जा रही है।
मुजफ्फरपुर में 89 जगहों पर मठ-मंदिर की भूमि चिह्नित की गई है, लेकिन न तो ब्योरा अपलोड किया गया है और न ही विभाग को भेजा गया है।
दरअसल, इन संपत्तियों को बचाने के लिए चहारदीवारी का निर्माण किया जाना है, लेकिन हजारों एकड़ भूमि पर अतिक्रमण और फर्जी तरीके से बिक्री होने के कारण सीमांकन व मापी में परेशानी हो रही है।
पिछले दिनों सिवाईपट्टी में धार्मिक न्यास पर्षद की भूमि पर पंचायत भवन बनाने के लिए अंचल स्तर से स्वीकृति दे दी गई थी। वहां निर्माण कार्य शुरू भी कर दिया गया। इसके बाद मंदिर के सेवइत ने पर्षद से लेकर सभी पदाधिकारियों को इससे अवगत कराया और अविलंब रोक लगाने की मांग की।