बिहार में बाहुबल की राजनीति के कभी पर्याय रहे कोसी के आनंद मोहन और पप्पू यादव दो दिनों से वायरल हो रहे हैं। बीते बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के जमींदारों पर दिए बयान को गुरुवार को पूर्व सांसद आनंद मोहन ने लपक लिया और पूर्णिया आकर देख लेने की चुनौती दे दी।
आनंदमोहन के फ्रंट खोलते ही पप्पू यादव बैकफुट पर आ गए। पप्पू यादव ने अपने बदले व्यक्तित्व के साथ बड़ा दिल दिखाया। उन्होंने किसी प्रकार के टकराव से परहेज किया और शुक्रवार सुबह फेसबुक लाइव होकर अपने बयान पर सफाई पेश की और माफी भी मांग ली।
लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान पप्पू यादव ने कहा था कि जमींदारों ने अंग्रेजों की दलाली की थी, तभी उन्हें जमीनें मिलीं। गरीबों, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की जमीनें हड़पी गईं। इस्लाम से पहले इस दुनिया में बौद्ध धर्म आया था, जिसने सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना दी।
इस बयान के अगले दिन आनंद मोहन ने दिल्ली में एक मीडिया के सवाल के जवाब में पप्पू के जमींदारी को लेकेर दिए गए बयान को राजा-राजवाड़े और खुद से जोड़ लिया। उन्होंने कहा कि हमारे पुरखों ने युद्ध में जीतकर जमीन हासिल की है। उन्होंने जमींदारों और राजा-राजवाड़ों के रूप में दरभंगा महाराज, परबत्ता के साहू परिवार और जाट-गुर्जर आदि का उदाहरण दिया।
पप्पू यादव का नाम लिए बिना कहा कि उनके पास नौ हजार बीघा जमीन कहां से आई। इसका मतलब यह कि जमींदारी उनके पास भी है। तो क्या यह उसी माध्यम से आई जिसका जिक्र उन्होंने संसद में किया था। पूर्व सांसद ने कहा कि वीर कुंवर सिंह की जयंती के मौके पर वे पूर्णिया जाएंगे और वहीं सांसद के गरिमाहीन वक्तव्य को सामने से चुनौती देंगे। पूर्व सांसद का यह इंटरव्यू इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने लगा।
आंनद मोहन के इस बयान से राजनीतिक गलियारे में चर्चा होने लगी कि ढाई-तीन दशक पहले वाले टकराव की नौबत न जा जाए। पर शुक्रवार सुबह पप्पू के फेसबुक लाइव के बाद विरोधी यहां तक कहने लगे कि पप्पू यादव आनंद मोहन से डर गए।
फेसबुक लाइव के माध्यम संसद में दिए अपने बयान को दुहराया और कहा कि उन्होंने किसी राजा-राजवाड़े, जाट-गुर्जर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। उन जमींदारों के बारे में सिर्फ अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिन्हें अंग्रेजों की दलाली से जमीन मिली। पप्पू ने हालांकि आनंद मोहन का सीधे नाम नहीं लिया पर उन्होंने कहा कि वे जात-पात की बात नहीं करते। वे इससे ऊपर उठ चुके हैं। लेकिन यदि ऐसा है तो कृष्ण भगवान के जमाने से राजपूत और यादव रिश्तेदार रहे हैं। बकौल पप्पू यादव यदि उनके पास नौ हजार बीघा जमीन को उनके पूर्वजों से गलत तरीके से अर्जित किया है तो वे इसे खुद गलत कहेंगे।