प्रतिमाह 70 करोड़ की दवाइयां खा रहे हैं धनबाद के लोग

शहर के बीचों-बीच बेकारबांध के गुप्तेश्वर अपार्टमेंट में भारी मात्रा में नकली दवा के रैपर मिलने के बाद सनसनी फैल गयी। पुलिस प्रशासन अभी तक सरगना का उद्वेदन नहीं कर पाई है। राज्य की सबसे घनी आबादी वाला जिला धनबाद में काफी संख्या में लोग विभिन्न बीमारी से ग्रसित हैं। सूत्रों की मानें तो धनबाद में प्रति महीना 70 करोड रुपए की दवा लोग खा रहे हैं।
दवा के क्षेत्र में धनबाद बड़ा हब बन रहा है और यहीं से नकली दवाओं का कारोबार भी तेजी से फलने-फूलने लगा है। बाजारों में तीन तरह की नकली दवाएं बेची जा रही हैं। इसमें सब स्टैंडर्ड दवा, नकली दवा और प्रोपेगेंडा दवा शामिल है। ड्रग निदेशालय झारखंड में इससे पहले धनबाद समेत अन्य जिलों के औषधि निरीक्षक को नियमित सैंपलिंग करने को कहा है। लेकिन इसका पालन जिला में नहीं हो रहा है।
सब स्टैंडर्ड वह दवा है, जिसमें ब्रांड का नाम तो है लेकिन उसमें गुणवत्ता कम होती है। मसलन मरीज को दवा खाने के बाद लंबे समय के बाद आराम हो रहा है।
धनबाद में नकली दवा सबसे ज्यादा मल्टीविटामिन, एंटीबायोटिक, एंटी एलर्जिक से जुड़े उत्पाद में मिल रहे हैं। लगभग 500 से ज्यादा अलग-अलग दवा कंपनियों के नाम से नकली दवा बिक रहे हैं और दुकानदार से लेकर आनलाइन यह दावा 50 प्रतिशत डिस्काउंट में भी मिल रहा है।
यह दावा भी सब स्टैंडर्ड की तरह है। बड़े ब्रांड कंपनियों की तरह मिलते-जलती दवा को भारी डिस्काउंट में दवा दुकानदार बेच रहे हैं। पहचान मुश्किल है कि कौन ओरिजिनल और कौन प्रोपेगेंडा दवा है।
जिले में लगभग 40 करोड़ से ज्यादा दवा बीपी शुगर, खांसी और मौसमी बीमारियों से संबंधित बिक रही है। बेकारबांध में पकड़े गए नकली रेफर में भी मल्टीविटामिन के साथ मौसमी बीमारियों से जुड़े दवा के रैपर मिले हैं।
धनबाद में लगभग 200 हालसेलर की दवा दुकान है। बड़े होलेसलरों की सालाना कारोबार 50 लाख रुपए से लेकर एक करोड रुपए तक है। वहीं खुदरा दुकानदारों का कारोबार अलग है। लेकिन कौन क्या दवा बेच रहा है, इसके बारे में जांच की कोई नियंत्रण नहीं है।
जिले में लगभग 1400 से ज्यादा दवा दुकान हैं। लेकिन औषधि निरीक्षक कार्यालय का इस पर कोई नियंत्रण नहीं हो पता। जिला औषधि निरीक्षक कार्यालय में लगभग 40 कर्मचारियों की आवश्यकता है। लेकिन मात्र पांच कर्मचारियों में ही काम हो रहे हैं। टीम की जगह मात्र दो ड्रग इंस्पेक्टर हैं और इन दोनों को धनबाद के अलावा दो और जिलों के चार्ज है। सब स्टैंडर्ड नकली और प्रोपेगेंडा दवा होने की वजह से मरीज को ठीक होने में वक्त लग रहा है। ऐसे में मरीज को लगातार दवा खानी पड़ रही है। इसके साइड इफेक्ट से भी मरीज को दूसरी परेशानी शुरू हो जा रही है।

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