फर्जी डी.फार्मा डिग्री के आधार पर झारखंड में फर्जी फार्मासिस्ट पंजीकरण का खुलासा

रांची। झारखंड में फर्जी डिग्री के आधार पर फार्मासिस्ट पंजीकरण का मामला सामने आया है। यह गंभीर प्रकरण न केवल फार्मासिस्ट पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है।

मामला:

श्री बलबीर सिंह (पिता का नाम श्री प्यारा सिंह, निवासी: 841, एयरटेल टॉवर के पास, के.डी. शिवपुरी, बुकबुक, खलारी, रांची) का पंजीकरण 2020 में झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल (JSPC) द्वारा किया गया। उनकी पंजीकरण संख्या JSPC/REG/919 है।

जांच में पाया गया कि श्री बलबीर सिंह ने श्री राम कॉलेज ऑफ फार्मेसी, परिक्रमा मार्ग, मुजफ्फरनगर-251001 से प्राप्त एक फर्जी डी.फार्मा डिग्री प्रस्तुत की थी। यह कॉलेज 2020 में ही फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त हुआ था, और इसने श्री सिंह के दस्तावेजों को अमान्य घोषित किया है।

फर्जीवाड़े की परतें:

  1. भारी रिश्वत:

बताया जा रहा है कि श्री बलबीर सिंह ने पंजीकरण के लिए ₹3.5 लाख का भुगतान किया।

यह फर्जीवाड़ा श्री प्रशांत कुमार पांडे और उनके भतीजे श्री सचिन चतुर्वेदी (क्लर्क, JSPC) की मिलीभगत से किया गया।

  1. डबल वेरिफिकेशन की अनदेखी:

तकनीकी शिक्षा बोर्ड, लखनऊ द्वारा 27 जुलाई 2022 को जारी सत्यापन पत्र में स्पष्ट किया गया कि श्री बलबीर सिंह की डिग्री फर्जी है।

इसके बावजूद, उनका पंजीकरण रद्द नहीं किया गया।

  1. कॉलेज से फर्जी सत्यापन:

जांच में यह भी पता चला है कि संबंधित कॉलेज से भी श्री प्रशांत कुमार पांडे ने फर्जी सत्यापन करवाया।

बलबीर सिंह की ओर से एक झूठा शपथपत्र (फर्जी एफिडेविट) जमा किया गया, जिसमें उनकी डिग्री और योग्यता को सही बताया गया।

  1. दोहरे मानक:

इस मामले में, श्री प्रशांत कुमार पांडे, जिन पर पहले भी फर्जी पंजीकरण के आरोप लगे हैं, को 14 अक्टूबर 2024 को फिर से JSPC के रजिस्ट्रार के पद पर बहाल कर दिया गया।

सूत्रों के अनुसार, इस तरह के कई फर्जी पंजीकरण श्री पांडे की देखरेख में किए गए हैं।

उठे सवाल:

इस मामले ने झारखंड में फार्मेसी पंजीकरण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री शशि भूषण द्वारा भी 25 मार्च 2022 को उठाया गया था।

क्या कहता है कानून?

फर्जी डिग्री और फर्जी एफिडेविट के आधार पर पंजीकरण करवाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य को भी खतरे में डालता है। विसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई का प्रावधान है।

जिम्मेदार कौन?

क्या झारखंड राज्य फार्मेसी काउंसिल इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है?

श्री प्रशांत कुमार पांडे और उनके सहयोगियों के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

वर्दान न्यूज़ की अपील:

“वर्दान न्यूज़” सरकार से अपील करता है कि:

  1. इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
  2. दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
  3. फर्जी पंजीकरण और एफिडेविट तुरंत रद्द किए जाएं।
  4. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सख्त बनाया जाए।

यह मामला झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र और फार्मेसी काउंसिल की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो यह जनता की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ साबित हो सकता है।

(वरदान न्यूज़, विशेष रिपोर्ट)

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