झारखंड फार्मेसी काउंसिल के अधिकारी प्रशांत कुमार पांडे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बना | एक ही दस्तावेज़ से कई जन औषधि केंद्र खोले

फर्जीवाड़े की गंभीरता:

झारखंड फार्मेसी काउंसिल के अधिकारी प्रशांत कुमार पांडे फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड बना | एक ही दस्तावेज़ से कई जन औषधि केंद्र खोले

झारखंड फार्मेसी काउंसिल के अधिकारी प्रशांत पांडे पर फर्जीवाड़े का नया आरोप सामने आया है। जानकारी के अनुसार, उन्होंने अपने ही दस्तावेज़ों का बार-बार इस्तेमाल करके केंद्रीय सरकार की योजना जन औषधि केंद्र के तहत तीन से अधिक औषधि केंद्र खोले। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन केंद्रों में वह न केवल फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत हैं, बल्कि खुद को मालिक भी घोषित किया है।

  1. एक ही प्रमाणपत्र का बार-बार उपयोग:
    प्रशांत पांडे ने अपने फार्मासिस्ट प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेज़ों का उपयोग करके एक ही पंजीकरण नंबर को कई जगहों पर लागू किया। यह प्रक्रिया भारत के औषधि कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है।
  2. जन औषधि केंद्र में गड़बड़ी:
    जन औषधि केंद्र खोलने की प्रक्रिया में एक ही व्यक्ति का फार्मासिस्ट और मालिक दोनों के रूप में होना अवैध है। यह सरकारी स्कीम का दुरुपयोग है, जिसमें जरूरतमंद लोगों के लाभ के लिए बनाई गई योजना का लाभ व्यक्तिगत हितों के लिए उठाया गया।
  3. एक्सएलएन इंडिया में फर्जी प्रमाणपत्र:
    एक्सएलएन इंडिया प्लेटफॉर्म पर भी पांडे का नाम कई मेडिकल दुकानों के साथ पंजीकृत पाया गया। इन दुकानों के लिए उन्होंने अपने पंजीकरण नंबर को एडिट कर और आधार कार्ड में छेड़छाड़ करके रिकॉर्ड में हेरफेर किया।

कानूनी और नैतिक सवाल:

कानून का खुला उल्लंघन:
फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के तहत, एक फार्मासिस्ट एक समय पर केवल एक मेडिकल दुकान के साथ पंजीकृत हो सकता है। इस नियम का उल्लंघन प्रशांत पांडे की भ्रष्ट गतिविधियों को स्पष्ट करता है।

सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग:
गरीब और जरूरतमंदों के लिए चलाई जा रही योजना को इस तरह से निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह सरकारी संसाधनों और जनता के विश्वास के साथ धोखा है।

आगे की कार्रवाई:

प्रशांत पांडे के इस घोटाले ने झारखंड फार्मेसी काउंसिल और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पूरे मामले की गहन जांच और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
जनता के स्वास्थ्य और भविष्य से खिलवाड़ करते हुए प्रशांत पांडे ने अपने निजी लाभ के लिए इस घोटाले को अंजाम दिया। वरदान न्यूज़ के क्राइम रिपोर्टर ने बताया कि झारखंड फार्मेसी काउंसिल में इस तरह की अनियमितताएं आम हो चुकी हैं। जब इस मामले की गहराई से जांच की गई, तो पांडे के कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े के प्रमाण मिले।

क्या हेमंत सरकार है जिम्मेदार?
हेमंत सरकार, जिसने दूसरी बार राज्य में अपनी दावेदारी मजबूत की है, आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए काम करने का दावा करती है। लेकिन प्रशांत पांडे जैसे अधिकारियों की कार्यशैली सरकार की नीतियों पर सवाल खड़ा करती है। क्या यह घोटाला सरकार की जानकारी में था, या यह सरकार को अंधेरे में रखकर किया गया?

जनता के विश्वास पर चोट
एक तरफ हेमंत सरकार राज्य के गरीब और पिछड़े वर्गों के मसीहा बनने का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर ऐसी घटनाएं सरकार की कार्यशैली और नीतियों पर सवाल खड़े करती हैं। प्रशांत पांडे के काले कारनामों ने झारखंड फार्मेसी काउंसिल की साख को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाती है।

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